न जाने क्यों ये दर्पण जिंदगी का रूठ जाता है, जो खुद को देखना चाहूँ नजर कोई और आता है! किसी की बेरुखी से हमने बस इतना ही सीखा है, कि मोहब्बत दिल से की है तो सदा दिल टूट जाता है!! तुम्हारे प्यार के बिन जिंदगी पहले से ही गम है, तुम्हारी याद मे आँखे हमारी और भी नम है! तुम्हे दिल में बसाने को कभी एक पल भी काफी था, मगर अब भूल जाने को ये सारी जिन्दगी कम है!! - देवांश दीपक
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