Anjani Pahchan
कुछ लम्हें है कुछ बातें है कुछ दर्द भरी सी यादें है,कुछ तन्हाई से भरे गीत कुछ खालीपन सी रातें है! पर इन सबके बीच मुझे जब अपनापन सा लगता है,तब होंठो पर मुस्कान लिये इक रूप सलोना जचता है!!2 !! वह है निर्ममता का प्रतीक, शीतलता सावन कि फुहार!सोन्दर्य कि अदभुत प्रतिमा है,जैसे नवयुवती का श्रंगार!! कविता के शब्दों का सार, जिज्ञासु कि वो अभिलाषा है!कुछ कहना चाहें कह ना सके वह प्रेम कि ऐसी भाषा है!! टूटे दिल की वह धड़कन है, बिखरे स्वप्नों का ताजमहल!होकर के जुदा जो भटक रहे उनके जीवन का एक-एक पल!! है नयी सोच और नयी पहल, कुछ जानी कुछ पहचानी है!पाकर जिसको चुप रह न सके ऐसी मदमस्त जवानी है!! संगीत सुरों की मधुर तान, जिसको तानसेन ने गाया है!ना जाने कितने नाज़ों से कुदरत ने उसे सजाया इतनी ज्यादा मोहक है वह व्याख्यान नहीं कर पाऊगा! उसके दर्पण के बारे में बस इतना कहना चाहूँगा- कि जब उसके सोन्दर्य की तुलना में सारा सोन्दर्य सिमटता है!तब होंठो पे मुस्कान लिये वो रूप सलोना जचता है!!2!! सोचता यही हूँ क्या भविष्य में उसको विश कर पाऊंगा!या दिल में कुछ अरमान लिये बिन किस के ही मर जाऊंगा!! क्या कह पाऊंगा उससे मै इक अनजानी क हो तुम!कल तक जो सांसे थम गयी थी अब उन साँसो की जान हो तुम!! मै तो खामोश परिंदा हूँ मेरी हर इक आवाज ह़ो तुम!अब तक जों दिल में छुपाये था वो सारे के सारे राज हो तुम!! क्या वह भी मुझको समझेगी, क्या वह भी मुझको चाहेगी! या यू ही मेरे ख्वाबों मे उम्मीदें बन मडरायेगी!! लेकिन वह इक सपना है उस पर मेरा अधिकार नहीं। मिल जाये तो खुश रखूँगा ना मिल पाये तो हार नहीं!! फिर से सोचूंगा रूप नया फिर से श्रंगार सजाऊंगा!फिर से उसका प्रियतम बनकर बस गीत यही दोहराऊंगा!! कि ये सांसे जब भी थम जाती है जब भी कोई दिल में बसता है! तब होठो पर मुस्कान लिये इक रूप सलोना जचता है!!2!! - देवांश दीपक
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