अगर मधुबन में भवरे की कली से बात ना होगी, तो सच मानो मोहब्बत की कभी सुरवात ना होगी! जवां होकर हजारों ख्वाब तुम दिल में सजा लो पर, हमारे बिन तुम्हारी जिंदगी में रात ना होगी।। ये जग रूठे अगर हमसे तो तेरा साथ काफी है, बिना किस्मत के इन हाथों में तेरा हाथ काफी है! मुझे जन्मो-जनम तक इश्क में पागल बनाने को, तुम्हारे संग जो बीती है वही इक रात काफी है। . - देवांश दीपक
No comments:
Post a Comment