जिन्दगी तो पहेली थी, पहेली है, रhegi bhi, हंसी गम की सहेली थी, सहेली है, रहेगी भी!! भले होकर जुदा मुझसे वो अपना घर बसा लेगी! मगर मुझ बिन अकेली थी, अकेली है, रहेगी भी!! हमारे दिल में रहते हो तो फिर कैसी ये दूरी है! अभी तक कह नही पाया पर अब कहना जरूरी है!! खफ़ा होकर चले जाओ मगर इतना समझ लेना! मै तेरे बिन अधूरा हू तू मेरे बिन अधूरी है !! - देवांश दीपक
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