Wellcome friends, my name is Devansh Deepak, i am here for making true friends and giving u some loving hindi poems.You can also meet me at http://facebook.com/deepakdevansh72
Sunday 22 September 2013
Tuesday 17 September 2013
जिन्दगी तो पहेली थी, पहेली है, रhegi bhi, हंसी गम की सहेली थी, सहेली है, रहेगी भी!! भले होकर जुदा मुझसे वो अपना घर बसा लेगी! मगर मुझ बिन अकेली थी, अकेली है, रहेगी भी!! हमारे दिल में रहते हो तो फिर कैसी ये दूरी है! अभी तक कह नही पाया पर अब कहना जरूरी है!! खफ़ा होकर चले जाओ मगर इतना समझ लेना! मै तेरे बिन अधूरा हू तू मेरे बिन अधूरी है !! - देवांश दीपक
Monday 16 September 2013
Anjani Pahchan
कुछ लम्हें है कुछ बातें है कुछ दर्द भरी सी यादें है,कुछ तन्हाई से भरे गीत कुछ खालीपन सी रातें है! पर इन सबके बीच मुझे जब अपनापन सा लगता है,तब होंठो पर मुस्कान लिये इक रूप सलोना जचता है!!2 !! वह है निर्ममता का प्रतीक, शीतलता सावन कि फुहार!सोन्दर्य कि अदभुत प्रतिमा है,जैसे नवयुवती का श्रंगार!! कविता के शब्दों का सार, जिज्ञासु कि वो अभिलाषा है!कुछ कहना चाहें कह ना सके वह प्रेम कि ऐसी भाषा है!! टूटे दिल की वह धड़कन है, बिखरे स्वप्नों का ताजमहल!होकर के जुदा जो भटक रहे उनके जीवन का एक-एक पल!! है नयी सोच और नयी पहल, कुछ जानी कुछ पहचानी है!पाकर जिसको चुप रह न सके ऐसी मदमस्त जवानी है!! संगीत सुरों की मधुर तान, जिसको तानसेन ने गाया है!ना जाने कितने नाज़ों से कुदरत ने उसे सजाया इतनी ज्यादा मोहक है वह व्याख्यान नहीं कर पाऊगा! उसके दर्पण के बारे में बस इतना कहना चाहूँगा- कि जब उसके सोन्दर्य की तुलना में सारा सोन्दर्य सिमटता है!तब होंठो पे मुस्कान लिये वो रूप सलोना जचता है!!2!! सोचता यही हूँ क्या भविष्य में उसको विश कर पाऊंगा!या दिल में कुछ अरमान लिये बिन किस के ही मर जाऊंगा!! क्या कह पाऊंगा उससे मै इक अनजानी क हो तुम!कल तक जो सांसे थम गयी थी अब उन साँसो की जान हो तुम!! मै तो खामोश परिंदा हूँ मेरी हर इक आवाज ह़ो तुम!अब तक जों दिल में छुपाये था वो सारे के सारे राज हो तुम!! क्या वह भी मुझको समझेगी, क्या वह भी मुझको चाहेगी! या यू ही मेरे ख्वाबों मे उम्मीदें बन मडरायेगी!! लेकिन वह इक सपना है उस पर मेरा अधिकार नहीं। मिल जाये तो खुश रखूँगा ना मिल पाये तो हार नहीं!! फिर से सोचूंगा रूप नया फिर से श्रंगार सजाऊंगा!फिर से उसका प्रियतम बनकर बस गीत यही दोहराऊंगा!! कि ये सांसे जब भी थम जाती है जब भी कोई दिल में बसता है! तब होठो पर मुस्कान लिये इक रूप सलोना जचता है!!2!! - देवांश दीपक
अगर मधुबन में भवरे की कली से बात ना होगी, तो सच मानो मोहब्बत की कभी सुरवात ना होगी! जवां होकर हजारों ख्वाब तुम दिल में सजा लो पर, हमारे बिन तुम्हारी जिंदगी में रात ना होगी।। ये जग रूठे अगर हमसे तो तेरा साथ काफी है, बिना किस्मत के इन हाथों में तेरा हाथ काफी है! मुझे जन्मो-जनम तक इश्क में पागल बनाने को, तुम्हारे संग जो बीती है वही इक रात काफी है। . - देवांश दीपक
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